सबसे पहले पापा अपने बच्चे का दाखिला एक स्कूल में कराते है उसके बाद बच्चे को क्या सब्जेक्ट पढ़ना है बो भी पापा का ही निर्णेय होता है फिर बात आती है कालेज की वहां भी अहम् भूमिका पापा की ही होती है.
शिक्षा पूरी करने के बाद नंबर आता है नौकरी करने का वहां भी पापा की ही इजाजत चाहिए, नौकरी कर ली अब बारी आती है शादी की बच्चा कहता है जहाँ मेरे पापा कहेंगे वहीँ शादी कर लूंगा. सब कुछ ठीक चलता है तो ठीक नहीं तो पिता जी उसको बेदखल करने में जरा सी भी देर नहीं लगाते यानी बचपन से लेकर शादी तक पापा की बहुत ही अहम् भूमिका होती है
ऐसा ही कुछ हाल आजकल हमारी सी बी आई का हो रखा है बेचारी बच्चे की तरह कठपुतली बनकर रह गयी है, कोई भी राजनीतिक पार्टी जैसा कहती है बैसे ही उसका अनुसरण करना पड़ता है. अगर किसी केस की जाँच सी बी आई के हाथों में जाती है तो सबसे पहले सी बी आई को यह सोचना पड़ता है की यह जो केस हमारे पास आया है उसकी किस तरह से जाँच शुरू की जाये अपने स्तर पर अगर जाँच की जाती है तो वहां पापा की भूमिका निभाने केंद्र सरकार आ जाती है और अपने हिसाब से केस हैंडल करने को दबाब बनाती है अगर सी बी आई उसकी बात को नकारती है तो उसका परिणाम जनता के सामने है ही.
आज जो बर्तमान सरकार पर आरोप लगा रहे है वह भी अपने शासन कल में पापा की भूमिका कम नहीं निभाते.
हर पार्टी सत्ता में आने पर उसके साथ पिछले पांच सालों में जो जो जाँच कमेटियां बैठाई गई उनका बदला पूरा करती है उसके बाद अगर कहीं समय मिलता है तो थोड़ा बहुत जनता को भी याद कर लिया जाता है आगे सरकार भी तो बनानी है भाई
मेरा मत तो यह है की यहाँ से प्रधान मंत्री का जो सम्मान भरा पद जनता किसी एक पार्टी के मुख्य ब्यक्ति को देती है वह पद अमेरिका का अनुसरण करते हुए खत्म कर दिया जाये
देश की बागडोर केवल राष्ट्रपति के हाथों में दे दी जाये
शिक्षा पूरी करने के बाद नंबर आता है नौकरी करने का वहां भी पापा की ही इजाजत चाहिए, नौकरी कर ली अब बारी आती है शादी की बच्चा कहता है जहाँ मेरे पापा कहेंगे वहीँ शादी कर लूंगा. सब कुछ ठीक चलता है तो ठीक नहीं तो पिता जी उसको बेदखल करने में जरा सी भी देर नहीं लगाते यानी बचपन से लेकर शादी तक पापा की बहुत ही अहम् भूमिका होती है
ऐसा ही कुछ हाल आजकल हमारी सी बी आई का हो रखा है बेचारी बच्चे की तरह कठपुतली बनकर रह गयी है, कोई भी राजनीतिक पार्टी जैसा कहती है बैसे ही उसका अनुसरण करना पड़ता है. अगर किसी केस की जाँच सी बी आई के हाथों में जाती है तो सबसे पहले सी बी आई को यह सोचना पड़ता है की यह जो केस हमारे पास आया है उसकी किस तरह से जाँच शुरू की जाये अपने स्तर पर अगर जाँच की जाती है तो वहां पापा की भूमिका निभाने केंद्र सरकार आ जाती है और अपने हिसाब से केस हैंडल करने को दबाब बनाती है अगर सी बी आई उसकी बात को नकारती है तो उसका परिणाम जनता के सामने है ही.
आज जो बर्तमान सरकार पर आरोप लगा रहे है वह भी अपने शासन कल में पापा की भूमिका कम नहीं निभाते.
हर पार्टी सत्ता में आने पर उसके साथ पिछले पांच सालों में जो जो जाँच कमेटियां बैठाई गई उनका बदला पूरा करती है उसके बाद अगर कहीं समय मिलता है तो थोड़ा बहुत जनता को भी याद कर लिया जाता है आगे सरकार भी तो बनानी है भाई
मेरा मत तो यह है की यहाँ से प्रधान मंत्री का जो सम्मान भरा पद जनता किसी एक पार्टी के मुख्य ब्यक्ति को देती है वह पद अमेरिका का अनुसरण करते हुए खत्म कर दिया जाये
देश की बागडोर केवल राष्ट्रपति के हाथों में दे दी जाये
No comments:
Post a Comment